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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एलएलएम छात्रा से रेप के मामले में पूर्व केंद्रीय स्वामी चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर आदेश सुरक्षित कर लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने दोनों पक्षों की लंबी बहस सुनने के बाद शनिवार को दिया। स्वामी चिन्मयानंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार ने अपनी बहस में कहा कि पीड़िता ने ब्लैकमेल के आरोप से बचने के लिए स्वामी चिन्मयानंद को दुराचार के झूठे आरोप में फंसाया है।
पीड़िता पर अपने मित्रों के साथ स्वामी चिन्मयानंद को ब्लैकमेल करने के पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं। पीड़िता के पिता ने उसके लापता होने की एफआईआर दर्ज कराई थी, जबकि पीड़िता ने स्वयं कहा है कि वह अपनी मर्जी से रक्षाबंधन के पहले शाहजहांपुर से मित्रों के साथ बाहर चली गई थी। पीड़िता ने वीडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर दुराचार करने का आरोप लगाया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप पर पीड़िता को कोर्ट में पेश किया गया।
पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्वामी चिन्मयानंद पर दुराचार के आरोप नहीं लगाए। उसने बाद में वकीलों की सलाह से मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं। पीड़िता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि किरण जैन का कहना था कि पीड़िता के पास स्वामी चिन्मयानंद के अत्याचारों की वीडियो क्लिप है, जो वायरल हुई है। इससे पहले भी स्वामी चिन्मयानंद पर अपनी शिष्या के साथ दुराचार का आरोप लग चुका है। साथ ही उन पर कई छात्राओं के साथ दुराचार करने के आरोप हैं। ऐसे गंभीर आरोप में आरोपी को रिहा किया गया तो अपराधियों को बढ़ावा मिलेगा और निष्पक्ष विचारण नहीं हो पाएगा। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया।